प्राचीन भारत के शल्य चिकित्सक अत्यंत उन्नत एवम कुशल थे। शल्यचिकित्सा के एक विशेष शाखा अंग प्रत्यारोपण और प्लास्टिक सर्जरी के लिए थी, जिसे यूरोप के शल्य चिकित्सकों ने अभी अभी सीखा है।
श्री विलियम जेम्स ,(January 11, 1842 - August 26, 1910), अमरीकी दार्शनिक एवम चिकित्सक
वेदों से हमने गृह निर्माण, संगीत , चिकित्सा , कला आदि अनेक विधायें सीखी है। वे मानव जीवन के हर पहलु का, कला संस्कृति , धर्म , विज्ञान, नीतिशास्त्र, कानून शास्त्र , अर्थशास्त्र, खगोल विज्ञान, द्रव्य विज्ञान आदि अनेक विद्याओं के विश्वकोष है।
संस्कृत भाषा चाहे इतनी ही प्राचीन क्यों न हो, ग्रीक भाषा से अधिक उत्तम , लेटिन से अधिक समृद्ध तथा अन्य किसी भी भाषा से अधिक नज़ाकत और शुद्धता से भरी है।
सम्पूर्ण विश्व में उपनिषदों के सामान रोमांचक, प्रेरणास्पद और चौकाने वाली कोई दूसरी पुस्तक नहीं है।
श्रीमान आर्थर शॉपेनहॉवर (22 February 1788 - 21 September 1860), विख्यात जर्मन दार्शनिक
वेद इस विश्व में हो सकने वाले सबसे महान और प्रेरणादायी ज्ञान है ।
एक वैज्ञानिक मस्तिष्क से होइ कोई भी खोज हो , उपनिषदों में प्रचारित सनातन सत्य से विरोधी नहीं हो सकती। उपनिषदों में जीवन की प्रयेक समस्या का समाधान दिया है। उन्होंने हमें सत्य के अन्तरंग तत्व से परिचित करवाया है।
हिन्दुधर्म एक जीवन पद्धति है जहॉं प्रत्येक व्यक्ति को ईश्वर की ऊँचाई तक पहुचाया जाता है।
और अब हम भारत की और देखते है। एक आध्यात्मिक तत्व जो एक आदमी को इंसान बनाता है आज भी भारतीय मनों में जिन्दा है। सारे विश्व को हिंदुस्तान के बारे में बताते जाइये, मनुष्य को विनाश की तरफ जाने से इससे अधिक और कोई चीज़ नहीं बचा सकती।
भारतीय वैदिक प्रणाली की परीक्षा करने पर वह पश्चिम के किसी भी वैज्ञानिक और दार्शनिक विचारों से अत्यधिक उन्नत और सुसंगतिपूर्ण सिध्द होती है।
विज्ञान के द्वारा धरती के आयु के बारे में वेज्ञानिको से सोचने के हज़ारो वर्षों पहले , हिन्दुओं के धर्मग्रंथो में धरती के जन्म को लेकर आश्चर्यजनक जानकारियाँ है ।