हमारी सदी के युवा धर्म, सत्य, आत्मा और ईश्वर का प्रमाण मागते है। मगर दुःख तो यह है की वे सिर्फ माँगते ही रहते है, स्वयं खोजते नहीं। दुर्भाग्य यह की संस्कृत हम समझ नहीं सकते और हमारी बोलचाल की भाषा में यह वैदिक ज्ञान सरलता से उपलब्ध होता नहीं। और अगर कही गलती से विदेशी विद्वानों के लिखे अंग्रेजी अनुवाद को पढ़ लिया तो समझिये की हमारी रही-सही श्रद्धा भी नष्ट हो जाएगी। अतः इस ब्लॉग का उद्देश्य विभिन्न स्त्रोतों से प्राप्त वैदिक ज्ञान को सरल भाषा में नई पीढ़ी के सामने रखना है।