Selected Verses of Veda in Hindi 81-100

हे मनुष्यों तुम्हारी आत्मविश्वास की शक्ति बड़ी प्रबल है|  तुम्हारे निश्चय को कोई मिटा नहीं सकता। साधारण विघ्नों की तो बात ही क्या; बड़े-बड़े पर्वत तक तेरी राह रोक नहीं सकते। तू सूर्य से भी अधिक बलवान है|
ऋग्वेद 10/27/5

श्रद्धा, मन की उच्च भावना का प्रतीक है| इससे मनुष्य का आध्यात्मिक जीवन सफल होता है और वह धन पाकर कर सुखी होता है|
ऋग्वेद 10/151/4

दूसरों के आशीर्वाद या उपदेश से किसी की धैर्य सिद्धि कदापि नहीं हो सकती इसके लिए स्वयं अपने शरीर ,मन और आत्मा से सत्कर्म तथा लोगो की भलाई के काम करने होंगे।
यजुर्वेद 23/15

विद्वान,तत्वदर्शी तथा आत्मज्ञानी लोग जिस मेधावी बुद्धि के द्वारा संसार में श्रेष्ठ कर्मों को पूरा करते हैं| ईश्वर हमें भी वह मेधा बुद्धि प्रदान करें।
यजुर्वेद 32/14

सँसार की विचित्रता को ध्यान में रखकर हमेशा सत्य बोले और आत्मबल प्राप्त करे।
अथर्ववेद 4/9/7


हे मनुष्यों, तुम्हारी आत्मा सूर्य के समान तेजस्वी, प्रकाशमान एवम महान है| अपनी शक्ति को पहचानो। देखो, तुम्हारी महिमा कितनी विशाल है|
अथर्ववेद 13/2/29

आत्म कल्याण की इच्छा करने वाले पुरुष को पहले तप की दीक्षा दी जाती है| इससे शरीरबल, मनोबल तथा पद प्रतिष्ठा मिलती है और सुख प्राप्त होता है|
अथर्ववेद 19/41/1


मैं अकेला ही दस-हज़ार के बराबर हूँ | मेरा आत्मबल, प्राणबल, दृष्टि और सुनने की शक्ति भी दस-हज़ार मनुष्यों के बराबर है मेरा अपमान और विहान भी दस-हज़ार के बराबर है| मैं सारा का सारा दस-हज़ार मनुष्यों के बराबर हूँ |
अथर्ववेद  19/51/1  

मनुष्य की इन्द्रियाँ कभी एक ही दिशा में स्थिर नहीं रहती| अवसर मिलते ही अपने विषयों(भोगो) की ओर दौड़ती है, इसलिए मनुष्य को चाहिए कि वह इन्द्रियों के विषयों के प्रति सदेव सावधान रहें|
ऋग्वेद 6/9/6


मैं अपने कुविचारों को सदैव दूर रखूँगा इनसे अपना विनाश नहीं करूँगा| मेरे मन की शक्ति और सामर्थ्य अपार है, इसे बर्बाद नहीं करूँगा|
ऋग्वेद 10/164/1


तुम्हारा मन कभी भी बुरे विचारों में भटक नहीं पाए इसलिए उसे सदैव किसी न किसी काम में लगाए रहो अर्थात उसे बेकार न बैठने दो|
अथर्ववेद 6/45/1