Selected Verses of Vedas in Hindi, Know Vedas 101-120

सभी लोग एक संकल्पवान हो, सभी के ह्रदय एक हो, मन एक हो ताकि कोई दुखी न रहे|
ऋग्वेद 10/191/4


हमारे मन की शक्ति अनंत है| वह जागते और सोते हुए भी सदैव काम करता रहता है| वह ज्योति स्वरुप है किंतु बुरे संस्कारों की परतों से ढका है | ऐसा हमारा मन, शुभ एवम कल्याणकारी विचारों वाला हो|
यजुर्वेद 34/1


मन से ही पारलौकिक साधन तथा अलौकिक सुख प्राप्त होता है| यह प्राणी मात्र के भीतर रहता है इसलिए हमारा मन हमेशा शुभ और कल्याणकारी विचारों में लगा रहे|
यजुर्वेद 34/2

हमारा मन उत्कृष्ट ज्ञान, चिंतनशीलता, तथा धैर्य आदि सदगुणों से युक्त है| वह अँधकार अर्थात बुरे कामों की ओर न बढ़े, इसलिए हमारा मन शुभ एवं कल्याणकारी विचारों वाला हो|
यजुर्वेद 34/3


जो कभी ख़त्म न होने वाले - भूत, भविष्य और वर्तमान का योग साधन द्वारा ज्ञान प्राप्त करता है, जिससे जीवन के संपूर्ण कार्य अच्छी तरह पूरे होते हैं, वह हमारा मन शुभ और कल्याणकारी विचारों वाला हो।
यजुर्वेद 34/4


हे मनुष्यों, तुम्हारा मन स्वच्छ हो, अंतःकरण धर्म और सदाचार से पवित्र हो ताकि तुम ब्रम्हविद्या और व्यवहारिक ज्ञान उपलब्ध कर सको|
यजुर्वेद 34/5


जिस प्रकार सारथी(रथ चलाने वाला) अपने दसों घोड़ो को अपने काबू में रखकर रथ चलाता है, हे मनुष्यों उसी प्रकार तुम भी अपने मन द्वारा दसों इन्द्रियों को अपने काबू में रखो| इसके लिए तुम्हें संकल्पवान होना पड़ेगा।
यजुर्वेद 34/6


जिस प्रकार सूर्य, पृथ्वी एक ही नियम व्यवस्था से वर्षा, प्रकाश और अन्य शक्तियों के द्वारा सभी का हित संपादन करते हैं, वैसे ही मनुष्यों को भी चाहिए कि वह इन्द्रियों को नियमित बनाकर लोकमंगल के कार्यों में लगे और स्वयं अपराधों से बचने का प्रयत्न करता रहे|
अथर्ववेद 7/112/1


मन की अवस्था इन्द्रियों के बर्ताव के अनुरूप होती है| यह मनुष्य के हाथ की बात है किइन्द्रियों का चाहे सदुपयोग करें ,चाहे दुरुपयोग। सदैव इन्द्रियों की उत्तेजना से बचने का प्रयत्न करना चाहिए।
अथर्ववेद 19\9\5


यह संसार शुभ, मंगलदायक और मधुर पदार्थों से भरा पड़ा है, किंतु ये मिलते हैं उन्हीं को हैं जो सब कर्मों द्वारा उनका मूल्य चुकाने को तैयार रहते हैं|
ऋग्वेद 9/83/1