Real Meaning of Bramhan. ब्राह्मण कौन है?

मुनिवरो ! देखो, ‘‘ब्राह्मण वर्चति’’ इत्यादि आज के वेद-पाठ में नाना प्रकार से ब्राह्मणों का वर्णन आ रहा था। ब्राह्मण किसको कहते हैं? संसार में ब्राह्मण की क्या विशेषता है?

बेटा ! ब्राह्मण कहते हैं ज्ञानी को। प्रत्येक जीवन-यात्राी को, प्रत्येक देवकन्या कहते हैं ज्ञानी को। प्रत्येक जीवन-यात्री को, प्रत्येक देवकन्या ज्ञान देकर अमृत तुल्य बना देने में सहायता करने वाले को ब्राह्मण कहते हैं। उसी को ब्राह्मण उपाधि दी जाती है। बेटा देखो ! ब्राह्मण तो सूर्य को भी कहते हैं। ब्राह्मण नाम परमात्मा का भी है। सूर्य को ब्राह्मण क्यों कहते हैं? सूर्य प्रातःकाल आते हैं, तीनों लोकों को तपायमान कर देते हैं। ये तीनों लोक उसके महान् प्रताप से, तेज से प्रकाशमान हो उठते हैं। इसी प्रकार ब्राह्मण उसी को कहते हैं जो प्रकाश देने वाला हो। प्रकाश भी
कई प्रकार के होते हैं। एक ‘अनुमन्तृ’ प्रकाश होता है। जो परमात्मा की महामाया से पृथक होता है। प्राकृतिक ज्ञान, मधुमान होता है, बेटा ! यह ज्ञान वेदों के व्याख्यानों से प्राप्त होता है।

आत्मा का प्रकाश भी परमात्मा का दिया हुआ है।परमात्मा हमारी आत्मा में बैठा हमें प्रकाशित कर रहा है। उसी को बेटा ! ब्राह्मणों का ब्राह्मण कहा जाता है। ब्राह्मण उसी को कहते हैं
जो प्रकाशमान होता है।

बेटा ! जैसे हमारे शरीरों में मल, विक्षेप तथा आवरण हैं। इन तीनों को अपनी विद्या से समाप्त करने वाले को ही हमार आचार्यों ने ब्राह्मण माना है। जो राष्ट्र को ऊँचा बनाने वाला हो, एक साधारण व्यक्ति का भी उत्थान करने वाला हो और जो वेदों के ज्ञान का भण्डार हो, उसी को ब्राह्मण रूप से पुकारा जाता है।

बेटा ! अभी-अभी हम उच्चारण कर रहे थे कि ‘‘ब्राह्मण वर्चति’’ इत्यादि। देखो, जो ब्राह्मण सब गुणों वाला बन जाता है उसी को तेजस्वी ब्राह्मण कहा जाता है। तेजस्वी ब्राह्मण सबका कल्याण करने वाला होता है। प्रजा को उच्च बनाने वाला होता है। प्रजा में किसी प्रकार के अज्ञान को छाने नहीं देता। जिस काल में ऐसे ब्राह्मणों की संख्या अधिक होती है, उस काल में अज्ञान आता ही
नहीं है।

- पूज्य श्रीकृष्णदत्त जी महाराज - श्रृंगी ऋषि